"मैं होशे-अनादिल हूँ मुश्किल है सँभल जाना / फ़िराक़ गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर
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− | मैं होशे-अनादिल< | + | मैं होशे-अनादिल<ref>बुलबुल के स्वभाव का</ref>हूँ मुश्किल है सँभल जाना |
− | ऐ बादे-सबा मेरी करवट तो बदल जाना | + | ऐ बादे-सबा<ref>सवेरे की हवा</ref> मेरी करवट तो बदल जाना |
तक़दीरे-महब्बत हूँ मुश्किल है बदल जाना | तक़दीरे-महब्बत हूँ मुश्किल है बदल जाना | ||
सौ बार सँभल कर भी मालूम सँभल जाना | सौ बार सँभल कर भी मालूम सँभल जाना | ||
− | उस आँख की मस्ती हूँ ऐ बादाकशो< | + | उस आँख की मस्ती हूँ ऐ बादाकशो<ref>शराब पीने वालों </ref> जिसका |
उठ कर सरे-मैख़ाना मुमकिन है बदल जाना | उठ कर सरे-मैख़ाना मुमकिन है बदल जाना | ||
− | अय्यामे-बहारां में दीवानों के तेवर भी | + | अय्यामे-बहारां<ref>बहार के दिनों</ref> में दीवानों के तेवर भी |
− | जिस सम्त नज़र उट्ठी आलम का बदल जाना | + | जिस सम्त<ref>ओर,तरफ़</ref> नज़र उट्ठी आलम का बदल जाना |
− | घनघोर घटाओं में सरशार फ़ज़ाओं में | + | घनघोर घटाओं में सरशार<ref>मस्त</ref> फ़ज़ाओं में |
− | मख्म़ूर हवाओं में मुश्किल है सँभल जाना | + | मख्म़ूर<ref>नशे में चूर,नशे में धुत</ref> हवाओं में मुश्किल है सँभल जाना |
− | हूँ लग़्जिशे मस्ताना< | + | हूँ लग़्जिशे मस्ताना<ref>मस्ताने की लड़खड़ाहट</ref> मैख़ान-ए-आलम में |
− | बर्के़-निगहे-साक़ी कुछ बच के निकल जाना | + | बर्के़-निगहे-साक़ी<ref>साक़ी की निगाह की बिजली</ref> कुछ बच के निकल जाना |
इस गुलशने-हस्ती में कम खिलते हैं गुल ऐसे | इस गुलशने-हस्ती में कम खिलते हैं गुल ऐसे | ||
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मैं साज़े-हक़ीक़त हूँ सोया हुआ नग़्मा था | मैं साज़े-हक़ीक़त हूँ सोया हुआ नग़्मा था | ||
− | था राज़े-निहां कोई परदों से निकल जाना | + | था राज़े-निहां<ref>छुपा हुआ राज़</ref> कोई परदों से निकल जाना |
− | हूँ नकहते-मस्ताना< | + | हूँ नकहते-मस्ताना<ref>मस्ती-भरी महक</ref> गुलज़ारे महब्बत में |
मदहोशी-ए-आलम है पहलू का बदल जाना | मदहोशी-ए-आलम है पहलू का बदल जाना | ||
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जो तर्ज़े-गज़लगोई मोमिन ने तरह की थी | जो तर्ज़े-गज़लगोई मोमिन ने तरह की थी | ||
− | सद-हैफ़ फ़िराक़ उसका सद-हैफ़ बदल जाना | + | सद-हैफ़<ref>सौ दुख</ref> फ़िराक़ उसका सद-हैफ़ बदल जाना |
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12:34, 11 अगस्त 2020 का अवतरण
साँचा:KKAnthologyBahaar
मैं होशे-अनादिल<ref>बुलबुल के स्वभाव का</ref>हूँ मुश्किल है सँभल जाना
ऐ बादे-सबा<ref>सवेरे की हवा</ref> मेरी करवट तो बदल जाना
तक़दीरे-महब्बत हूँ मुश्किल है बदल जाना
सौ बार सँभल कर भी मालूम सँभल जाना
उस आँख की मस्ती हूँ ऐ बादाकशो<ref>शराब पीने वालों </ref> जिसका
उठ कर सरे-मैख़ाना मुमकिन है बदल जाना
अय्यामे-बहारां<ref>बहार के दिनों</ref> में दीवानों के तेवर भी
जिस सम्त<ref>ओर,तरफ़</ref> नज़र उट्ठी आलम का बदल जाना
घनघोर घटाओं में सरशार<ref>मस्त</ref> फ़ज़ाओं में
मख्म़ूर<ref>नशे में चूर,नशे में धुत</ref> हवाओं में मुश्किल है सँभल जाना
हूँ लग़्जिशे मस्ताना<ref>मस्ताने की लड़खड़ाहट</ref> मैख़ान-ए-आलम में
बर्के़-निगहे-साक़ी<ref>साक़ी की निगाह की बिजली</ref> कुछ बच के निकल जाना
इस गुलशने-हस्ती में कम खिलते हैं गुल ऐसे
दुनिया महक उट्ठेगी तुम दिल को मसल जाना
मैं साज़े-हक़ीक़त हूँ सोया हुआ नग़्मा था
था राज़े-निहां<ref>छुपा हुआ राज़</ref> कोई परदों से निकल जाना
हूँ नकहते-मस्ताना<ref>मस्ती-भरी महक</ref> गुलज़ारे महब्बत में
मदहोशी-ए-आलम है पहलू का बदल जाना
मस्ती में लगावट से उस आंख का ये कहना
मैख़्वार की नीयत हूँ मुमकिन है बदल जाना
जो तर्ज़े-गज़लगोई मोमिन ने तरह की थी
सद-हैफ़<ref>सौ दुख</ref> फ़िराक़ उसका सद-हैफ़ बदल जाना