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"घर अकेला हो गया / मुनव्वर राना" के अवतरणों में अंतर
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* [[लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है / मुनव्वर राना]] | * [[लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है / मुनव्वर राना]] | ||
* [[महब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है / मुनव्वर राना]] | * [[महब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[दुनिया तेरी रौनक़ से मैं अब ऊब रहा हूँ / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है/ मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[मेरी ख़्वाहिश है कि फिर से मैं फ़रिश्ता हो जाऊँ / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[न मैं कंघी बनाता हूँ न मैं चोटी बनाता हूँ / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[हमारा तीर कुछ भी हो निशाने तक पहुँचता है / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[हर इक आवाज़ अब उर्दू को फ़रियादी बताती है / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है / मुनव्वर राना]] | ||
+ | * [[भरोसा मत करो साँसों की डोरी टूट जाती है / मुनव्वर राना]] |
22:25, 22 सितम्बर 2008 का अवतरण
घर अकेला हो गया
रचनाकार | मुनव्वर राना |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
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ISBN | |
विविध |
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- लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है / मुनव्वर राना
- महब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है / मुनव्वर राना
- दुनिया तेरी रौनक़ से मैं अब ऊब रहा हूँ / मुनव्वर राना
- जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है/ मुनव्वर राना
- बुलन्दी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है / मुनव्वर राना
- मेरी ख़्वाहिश है कि फिर से मैं फ़रिश्ता हो जाऊँ / मुनव्वर राना
- न मैं कंघी बनाता हूँ न मैं चोटी बनाता हूँ / मुनव्वर राना
- हमारा तीर कुछ भी हो निशाने तक पहुँचता है / मुनव्वर राना
- हर इक आवाज़ अब उर्दू को फ़रियादी बताती है / मुनव्वर राना
- बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है / मुनव्वर राना
- भरोसा मत करो साँसों की डोरी टूट जाती है / मुनव्वर राना