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− | * [[जहाँ में हर बशर मजबूर हो ऐसा नहीं होता | + | * [[जहाँ में हर बशर मजबूर हो ऐसा नहीं होता / अंबर खरबंदा]] |
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− | * [[मौसम की तब्दीली कहिये या पतझड़ का बहाना था | + | * [[मौसम की तब्दीली कहिये या पतझड़ का बहाना था / अंबर खरबंदा]] |
− | * [[यही इक जुर्म है ऐ मेरे हमदम | + | * [[यही इक जुर्म है ऐ मेरे हमदम / अंबर खरबंदा]] |
− | * [[सर्दी बहुत है दोस्तो ! हालत ख़राब है | + | * [[सर्दी बहुत है दोस्तो ! हालत ख़राब है / अंबर खरबंदा]] |
11:16, 5 सितम्बर 2020 का अवतरण
ओमप्रकाश खरबंदा
© कॉपीराइट: अंबर खरबंदा। कविता कोश के पास संकलन की अनुमति है। इन रचनाओं का प्रयोग अंबर खरबंदा की अनुमति के बिना कहीं नहीं किया जा सकता।
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जन्म | 28 दिसम्बर 1952 |
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उपनाम | अंबर खरबंदा |
जन्म स्थान | देहरादून, उत्तराखंड |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
अंबर खरबंदा / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- मुश्किल को समझने का वसीला निकल आता / अंबर खरबंदा
- जहाँ में हर बशर मजबूर हो ऐसा नहीं होता / अंबर खरबंदा
- ज़माने-भर से जुदा और बा-कमाल कोई / अंबर खरबंदा
- हर इक रिश्ता बिखरा बिखरा क्यूँ लगता है / अंबर खरबंदा
- इच्छाओं पर प्रश्नचिन्ह हैं अरमानों पर पहरे हैं / अंबर खरबंदा
- ये सच है मैं वहां तनहा बहुत था / अंबर खरबंदा
- कैसे कैसे क्या से क्या होते गए / अंबर खरबंदा
- मौसम की तब्दीली कहिये या पतझड़ का बहाना था / अंबर खरबंदा
- यही इक जुर्म है ऐ मेरे हमदम / अंबर खरबंदा
- सर्दी बहुत है दोस्तो ! हालत ख़राब है / अंबर खरबंदा