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"नज़र से गिरे तो किधर जायेंगे फिर / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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नज़र  से गिरे तो किधर जायेंगे फिर
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जनम भर दुबारा न उठ पायेंगे फिर
  
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कमा लेंगे धन और दौलत  बहुत सी
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मगर ये मुहब्बत कहाँ पायेंगे फिर
  
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हमें देखकर बंद कर लेगी खिड़की
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तो कैसे गली में तेरी आयेंगे  फिर
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न धरती ये होगी न अंबर वो होगा
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चमकते सितारे  कहाँ जायेंगे फिर
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हमें छोड़ दें शैाक़ से आप लेकिन
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यहाँ ज़ेब खाली न रुतबा न ताक़त
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अमीरों की महफ़िल  में क्यों आयेंगे फिर
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भरोसा विखंडित अगर हो गया तो
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तुम्हारी क़सम है कि मर जायेंगे फिर
 
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12:59, 16 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण

नज़र से गिरे तो किधर जायेंगे फिर
जनम भर दुबारा न उठ पायेंगे फिर

कमा लेंगे धन और दौलत बहुत सी
मगर ये मुहब्बत कहाँ पायेंगे फिर

हमें देखकर बंद कर लेगी खिड़की
तो कैसे गली में तेरी आयेंगे फिर

न धरती ये होगी न अंबर वो होगा
चमकते सितारे कहाँ जायेंगे फिर

हमें छोड़ दें शैाक़ से आप लेकिन
किसे अपने पहलू में बैठायेंगे फिर

यहाँ ज़ेब खाली न रुतबा न ताक़त
अमीरों की महफ़िल में क्यों आयेंगे फिर

भरोसा विखंडित अगर हो गया तो
तुम्हारी क़सम है कि मर जायेंगे फिर