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"कुछ इरादे सफल न हो पाए / जहीर कुरैशी" के अवतरणों में अंतर

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बंद मुठ्ठी में कैद है जुगनू
 
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फूल के बाद फल न हो पाए
 
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जितने चाहे थे अपने जीवन में
 
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उतने रद्दो-बदल न हो पाए
उतने रद्दो—बदल न हो पाए
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20:19, 21 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण

कुछ इरादे सफल न हो पाए
झोंपड़ी से महल न हो पाए

पाप के पंक में धँसे ऐसे
चाहकर भी कमल न हो पाए

ऐसे-ऐसे कठिन सवाल मिले
हल किए किन्तु हल न हो पाए

बंद मुठ्ठी में कैद है जुगनू
कैद मुठ्ठी मे पल न हो पाए

मुस्कुराने में फँस गए इतने
फूल के बाद फल न हो पाए

हमको पत्थर बना के छोड़ दिया
और पत्थर, तरल न हो पाए

जितने चाहे थे अपने जीवन में
उतने रद्दो-बदल न हो पाए