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"जो बोलूँगा, सच बोलूँगा / फूलचन्द गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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चक्रव्यूह से बच बोलूँगा
 
चक्रव्यूह से बच बोलूँगा
  
नै व्यवस्था होंगी उसमे
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नई व्यवस्था होंगी उसमे
नै संहिता रच बोलूँगा
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नई संहिता रच बोलूँगा
  
 
अमृत मिल जाए तुझको, विष
 
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मुझको जाए पच बोलूँगा  
 
मुझको जाए पच बोलूँगा  
 
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15:57, 14 जुलाई 2021 के समय का अवतरण

जो बोलूँगा, सच बोलूँगा
सच को खुरच-खुरच बोलूँगा

आएगी जब खूँ की नौबत
दिल को उलच-उलच बोलूँगा

झूठ, फ़रेब, दम्भ, लालच के
चक्रव्यूह से बच बोलूँगा

नई व्यवस्था होंगी उसमे
नई संहिता रच बोलूँगा

अमृत मिल जाए तुझको, विष
मुझको जाए पच बोलूँगा