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"किसी से मेरी प्रीत लगी अब क्‍या करूँ / गोपाल सिंह नेपाली" के अवतरणों में अंतर

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किसी से मेरी प्रीत लगी अब
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हाय किसी से मेरी प्रीत लगी
क्या करूँ...
+
अब क्या करूँ
अब क्या करूँ... रे अब क्या करूँ...
+
किसी से मेरी प्रीत लगी
किसी से मेरी प्रीत लगी अब
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अब क्या करूँ
क्या करूँ......
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अब क्या करूँ रे
पास-पड़ोस मे
+
अब क्या करूँ
पास-पड़ोस मे बाजा बजे रे
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किसी से मेरी प्रीत लगी
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अब क्या करूँ
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पास-पड़ोस मैं
 +
पास-पड़ोस मैं बाजा बजे रे
 
दूल्हा के संग नयी दुल्हन सजे रे
 
दूल्हा के संग नयी दुल्हन सजे रे
मै तो बड़ी-बड़ी
+
में तो बड़ी-बड़ी
मै बड़ी-बड़ी आंखो वाली देखा करूँ...
+
में तो बड़ी-बड़ी
किसी से मेरी प्रीत लगी अब
+
आँखों वाली देखा करूँ
क्या करूँ...
+
किसी से मेरी प्रीत लगी
अब क्या करूँ... रे अब क्या करूँ...
+
अब क्या करूँ
किसी से मेरी प्रीत लगी अब
+
अब क्या करूँ रे
क्या करूँ...
+
अब क्या करूँ
सोलह बरस की मै तो
+
किसी से मेरी प्रीत लगी
खुशबु हू कास की मै तो
+
अब क्या करूँ
बाकी मतवाली मै तो
+
 
प्याली हू देसी की
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हाय
चढ़ाती उम्र नही बात मेरे बस की
+
किसी से मेरी प्रीत लगी
 +
अब क्या करूँ
 +
सोलह बरस की में तो
 +
खुशबू हूँ खास की में तो
 +
बाँकी-मतवाली में टोप्याली हूँ रस की
 +
 
 +
चढ़ती उमर नहीं
 +
बात मेरे बस की
 
जवानी मेरे बस की
 
जवानी मेरे बस की
नही जी मेरे बस की
+
नहीं जी मेरे बस की
हाय मोरे रामा
+
हाय मोर रामा
अकेली यहा पड़ी-पड़ी आहे भरू
+
अकेली यहाँ पड़ी-पड़ी
किसी से मेरी प्रीत लगी अब
+
आहें भरूँ
क्या करूँ...
+
किसी से मेरी प्रीत लगी
अब क्या करूँ... रे अब क्या करूँ...
+
अब क्या करूँ
किसी से मेरी प्रीत लगी अब
+
अब क्या करूँ रे
क्या करूँ...
+
अब क्या करूँ
अब रुकूँगी किसी के रोके
+
किसी से मेरी प्रीत लगी
पीहर चलूगी मै पिया की हो के
+
अब क्या करूँ
डोलिया हिलेडोले
+
 
डोलिया हिलेडोले मै तो बैठी रहू
+
अब ना रुकूँगी किसी के रोके
किसी से मेरी प्रीत लगी अब
+
पीहर चलूँगी
क्या करूं
+
में पिया की हो के
अब क्या करूँ... रे अब क्या करूँ...
+
डोलिया हिले-डोले
किसी से मेरी प्रीत लगी अब
+
डोलिया हिले-डोले
क्या करूँ...
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में तो बैठी रहूँ
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किसी से मेरी प्रीत लगी
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अब क्या करूँ
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अब क्या करूँ रे
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अब क्या करूँ
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किसी से मेरी प्रीत लगी
 +
अब क्या करूँ.
 
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11:37, 17 अप्रैल 2022 के समय का अवतरण

हाय किसी से मेरी प्रीत लगी
अब क्या करूँ
किसी से मेरी प्रीत लगी
अब क्या करूँ
अब क्या करूँ रे
अब क्या करूँ
किसी से मेरी प्रीत लगी
अब क्या करूँ

पास-पड़ोस मैं
पास-पड़ोस मैं बाजा बजे रे
दूल्हा के संग नयी दुल्हन सजे रे
में तो बड़ी-बड़ी
में तो बड़ी-बड़ी
आँखों वाली देखा करूँ
किसी से मेरी प्रीत लगी
अब क्या करूँ
अब क्या करूँ रे
अब क्या करूँ
किसी से मेरी प्रीत लगी
अब क्या करूँ

हाय
किसी से मेरी प्रीत लगी
अब क्या करूँ
सोलह बरस की में तो
खुशबू हूँ खास की में तो
बाँकी-मतवाली में टोप्याली हूँ रस की

चढ़ती उमर नहीं
बात मेरे बस की
जवानी मेरे बस की
नहीं जी मेरे बस की
हाय मोर रामा
अकेली यहाँ पड़ी-पड़ी
आहें भरूँ
किसी से मेरी प्रीत लगी
अब क्या करूँ
अब क्या करूँ रे
अब क्या करूँ
किसी से मेरी प्रीत लगी
अब क्या करूँ

अब ना रुकूँगी किसी के रोके
पीहर चलूँगी
में पिया की हो के
डोलिया हिले-डोले
डोलिया हिले-डोले
में तो बैठी रहूँ
किसी से मेरी प्रीत लगी
अब क्या करूँ
अब क्या करूँ रे
अब क्या करूँ
किसी से मेरी प्रीत लगी
अब क्या करूँ.