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"कोई गाता मैं सो जाता / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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कोई अपने स्वर में मधुमय कर | कोई अपने स्वर में मधुमय कर |
21:53, 5 जनवरी 2023 के समय का अवतरण
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संसृति के विस्तृत सागर में
सपनों की नौका के अंदर
दुख सुख की लहरों मे उठ गिर
बहता जाता, मैं सो जाता ।
आँखों में भरकर प्यार अमर
आशीष हथेली में भरकर
कोई मेरा सिर गोदी में रख
सहलाता, मैं सो जाता ।
मेरे जीवन का खारा जल
मेरे जीवन का हालाहल
कोई अपने स्वर में मधुमय कर
बरसाता मैं सो जाता ।
कोई गाता मैं सो जाता
मैं सो जाता
मैं सो जाता