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"नम मिट्टी पत्थर हो जाये ऐसा कभी न हो / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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गाँव में जब तक सरपत है बेघर नहीं है कोई
 
गाँव में जब तक सरपत है बेघर नहीं है कोई
सरपत सँगमरमर हो जाये ऐसा कभी न हो।  
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सरपत सँगमरमर हो जाये ऐसा कभी न हो।
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सागर जितनी पीड़ा मन में, धैर्य भी उतना ही
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मेरा दर्द मुखर हो जाये ऐसा कभी न हो।
 
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19:16, 12 सितम्बर 2023 के समय का अवतरण

नम मिट्टी पत्थर हो जाये ऐसा कभी न हो
मेरा गाँव, शहर हो जाये ऐसा कभी न हो।

हर इंसान में थोड़ी बहुत तो कमियाँ होती है
वो बिल्कुल ईश्वर हो जाये ऐसा कभी न हो।

बेटा, बाप से आगे हो तो अच्छा लगता है
बाप के वो ऊपर हो जाये ऐसा कभी न हो।

मेरे घर की छत नीची हो मुझे गवारा है
नीचा मेरा सर हो जाये ऐसा कभी न हो।

खेत मेरा परती रह जाये कोई बात नहीं
खेत मेरा बंजर हो जाये ऐसा कभी न हो।

गाँव में जब तक सरपत है बेघर नहीं है कोई
सरपत सँगमरमर हो जाये ऐसा कभी न हो।

सागर जितनी पीड़ा मन में, धैर्य भी उतना ही
मेरा दर्द मुखर हो जाये ऐसा कभी न हो।