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"लंबी है ये सियाहरात जानता हूँ मैं / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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लंबी है ये सियाहरात  जानता हूँ मैं
 
लंबी है ये सियाहरात  जानता हूँ मैं
 
उम्मीद की किरन मगर तलाशता हूँ मैं।
 
उम्मीद की किरन मगर तलाशता हूँ मैं।
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ठहरे हुए लोगों से कोई वास्ता नहीं
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चलते रहें जो उनके लिए रास्ता हूं मैं
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सहरा में खड़ा हूँ चमन की आस है मगर
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कोई नया गुलाब खिले चाहता हूँ मैं।
  
 
लोगों को वरगला के मसीहा वो बन गया
 
लोगों को वरगला के मसीहा वो बन गया
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वो चॉद है कैसे ये बात भूल गया मैं
 
वो चॉद है कैसे ये बात भूल गया मैं
 
मिलना नहीं जो क्यों उसी को माँगता हूँ मैं।
 
मिलना नहीं जो क्यों उसी को माँगता हूँ मैं।
 
मंजिल नहीं हूँ मैं किसी मोटे अमीर की
 
थकता नहीं जो वो ग़रीब रास्ता हूँ मैं।
 
 
सहरा में खड़ा हूँ चमन की आस है मगर
 
कोई नया गुलाब खिले चाहता हूँ मैं।
 
 
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19:25, 12 सितम्बर 2023 के समय का अवतरण

लंबी है ये सियाहरात जानता हूँ मैं
उम्मीद की किरन मगर तलाशता हूँ मैं।

ठहरे हुए लोगों से कोई वास्ता नहीं
चलते रहें जो उनके लिए रास्ता हूं मैं

सहरा में खड़ा हूँ चमन की आस है मगर
कोई नया गुलाब खिले चाहता हूँ मैं।

लोगों को वरगला के मसीहा वो बन गया
उस शख़़्स को अच्छी तरह पहचानता हॅू मैं।

वो चॉद है कैसे ये बात भूल गया मैं
मिलना नहीं जो क्यों उसी को माँगता हूँ मैं।