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"हमने गर आसमाँ उठाया है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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जगहें सबके लिए बनाया है।
 
जगहें सबके लिए बनाया है।
  
सूर्इ ने कब कहाँ सिलाई की
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सूई ने कब कहाँ सिलाई की
 
धागे को रास्ता दिखाया है।
 
धागे को रास्ता दिखाया है।
  
कोई तालाब बन गया होगा
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कोई तालाब बन गया होगासूई
 
कोठी ऊँची अगर उठाया है।
 
कोठी ऊँची अगर उठाया है।
 
   
 
   

19:33, 12 सितम्बर 2023 का अवतरण

हमने गर आसमाँ उठाया है
जगहें सबके लिए बनाया है।

सूई ने कब कहाँ सिलाई की
धागे को रास्ता दिखाया है।

कोई तालाब बन गया होगासूई
कोठी ऊँची अगर उठाया है।
 
आँखें रखने का है गिला हमको
अंधों ने आइना दिखाया है।

बेसुध हो लोग सो गये जब-जब
हमने आवाज़ दे जगाया है।