"गँगाहिं पारअ सेॅ बभना जे आयल / अंगिका लोकगीत" के अवतरणों में अंतर
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− | गँगाहिं पारअ सेॅ | + | गँगाहिं पारअ सेॅ बभना जे आयल, चनना छै गुलेजार। |
− | सेहो चनना पिन्हे | + | सेहो चनना पिन्हे कवन लाले बाबू, पिन्ही चले ससुरार॥1॥ |
− | घोड़ा के लगाम पकैड़ि | + | घोड़ा के लगाम पकैड़ि बाबा जे आयल, धूपो न लेहो गमाय। |
− | कैसे हमें धूप गमैबै हो बाबा, तिरिया के लगन | + | कैसे हमें धूप गमैबै हो बाबा, तिरिया के लगन उताह॥2॥ |
− | गँगाहिं पारअ सेॅ मलिवा | + | गँगाहिं पारअ सेॅ मलिवा जे आयल, मौरिया छै गुलेजार। |
सेहो मौरिया पिन्हे कवन लाले बाबू, पिन्ही चले ससुरार॥3॥ | सेहो मौरिया पिन्हे कवन लाले बाबू, पिन्ही चले ससुरार॥3॥ | ||
घोड़ा के लगाम पकैड़ि बाबा जे आएल, धूपो न लेहो गमाय। | घोड़ा के लगाम पकैड़ि बाबा जे आएल, धूपो न लेहो गमाय। | ||
कैसे हमें धूप गमैबै हो बाबा, तिरिया के लगन उताह॥4॥ | कैसे हमें धूप गमैबै हो बाबा, तिरिया के लगन उताह॥4॥ | ||
− | गँगाहिं पारअ सेॅ दरजी जे आयल, मौजा | + | गँगाहिं पारअ सेॅ दरजी जे आयल, मौजा छै गुलेजार। |
सेहो मौजा पिन्हे कवन लाले बाबू, पिन्ही चले ससुरार॥5॥ | सेहो मौजा पिन्हे कवन लाले बाबू, पिन्ही चले ससुरार॥5॥ | ||
घोड़ा के लगाम पकैड़ि बाबा जे आयल, धूपो न लेहो गमाय। | घोड़ा के लगाम पकैड़ि बाबा जे आयल, धूपो न लेहो गमाय। | ||
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घोड़ा के लगाम पकैड़ि बाबा जे आयल, धूपो न लेहो गमाय। | घोड़ा के लगाम पकैड़ि बाबा जे आयल, धूपो न लेहो गमाय। | ||
कैसे हमें ध्ूापो गमैबै हो बाबा, तिरिया के लगन उताह। | कैसे हमें ध्ूापो गमैबै हो बाबा, तिरिया के लगन उताह। | ||
− | धूप मोरा अहेरन पहेरन | + | धूप मोरा अहेरन पहेरन, धूपे चले सँगे साथ॥10॥ |
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18:32, 11 दिसम्बर 2023 के समय का अवतरण
गँगाहिं पारअ सेॅ बभना जे आयल, चनना छै गुलेजार।
सेहो चनना पिन्हे कवन लाले बाबू, पिन्ही चले ससुरार॥1॥
घोड़ा के लगाम पकैड़ि बाबा जे आयल, धूपो न लेहो गमाय।
कैसे हमें धूप गमैबै हो बाबा, तिरिया के लगन उताह॥2॥
गँगाहिं पारअ सेॅ मलिवा जे आयल, मौरिया छै गुलेजार।
सेहो मौरिया पिन्हे कवन लाले बाबू, पिन्ही चले ससुरार॥3॥
घोड़ा के लगाम पकैड़ि बाबा जे आएल, धूपो न लेहो गमाय।
कैसे हमें धूप गमैबै हो बाबा, तिरिया के लगन उताह॥4॥
गँगाहिं पारअ सेॅ दरजी जे आयल, मौजा छै गुलेजार।
सेहो मौजा पिन्हे कवन लाले बाबू, पिन्ही चले ससुरार॥5॥
घोड़ा के लगाम पकैड़ि बाबा जे आयल, धूपो न लेहो गमाय।
कैसे हमें धूपो गमैबै हो बाबा, तिरिया के लगन उताह॥6॥
गँगाहिं पारअ सेॅ बजजबा जे आयल, टोपिया छै गुलेजार।
सेहो टोपिया पिन्हे कवन लाले बाबू, पिन्ही चले ससुरार॥7॥
घोड़ा के लगाम पकैड़ि बाबा जे आयल, धूपो न लेहो गमाय।
कैसे हमें धूपो गमैबै हो बाबा, तिरिया के लगन उताह॥8॥
गँगाहिं पारअ में दोकनमाँ जे लागल, अँगूठी छै गुलेजार।
सेहो अँगुठी पिन्हे कवन लाले बाबू, पिन्ही चले ससुरार॥9॥
घोड़ा के लगाम पकैड़ि बाबा जे आयल, धूपो न लेहो गमाय।
कैसे हमें ध्ूापो गमैबै हो बाबा, तिरिया के लगन उताह।
धूप मोरा अहेरन पहेरन, धूपे चले सँगे साथ॥10॥