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"जिनके घर में दौलत की वर्षा होती / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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पशुओं को भी देखा है मैंने रोते
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उस मजबूर पिता के दिल पर क्या बीते
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जिसकी बेटी खाली हाथ विदा होती
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मज़लूमों का वो उपहास नहीं करते
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उनके दिल में थोड़ी अगर दया होती
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पैसे वालों के जितना पैसा होता
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उससे ज़्यादा तो उनके ईर्ष्या होती
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हम भी प्रश्न उठाते नाइंसाफ़ी का
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अगर  ख़ुदा तक जाने की सुविधा होती
 
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21:49, 4 मार्च 2025 के समय का अवतरण

जिनके घर में दौलत की वर्षा होती
उनको क्या मालूम ग़रीबी क्या होती

प्यार मोहब्बत की ही बस चर्चा होती
काश , हमारी भी ऐसी दुनिया होती

पशुओं को भी देखा है मैंने रोते
इंसानों में भी देखा पशुता होती

उस मजबूर पिता के दिल पर क्या बीते
जिसकी बेटी खाली हाथ विदा होती

मज़लूमों का वो उपहास नहीं करते
उनके दिल में थोड़ी अगर दया होती

पैसे वालों के जितना पैसा होता
उससे ज़्यादा तो उनके ईर्ष्या होती

हम भी प्रश्न उठाते नाइंसाफ़ी का
अगर ख़ुदा तक जाने की सुविधा होती