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"जिसको भी देखिए परेशान नज़र आता है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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किन्तु बन जाय तो आसान नज़र आता है
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ऐसे लोगों को ही व्यवधान नज़र आता है
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मानता  हूँ कि पतन हो रहा तेजी से बहुत
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फिर भी होता है तो ईमान नज़र आता है
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हर समय उसकी ही मौज़ूदगी दिखती मुझको
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हर जगह मुझको वो भगवान नज़र आता है
 
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21:50, 4 मार्च 2025 के समय का अवतरण

जिसको भी देखिए परेशान नज़र आता है
हर भला आदमी हैरान नज़र आता है

कितना मुश्किल हुआ जाता है आदमी होना
ठोकरों में पड़ा इन्सान नज़र आता है

काम शुरुआत में लगता ज़रूर है मुश्किल
किन्तु बन जाय तो आसान नज़र आता है

अपनी ताक़त पे भरोसा नहीं होता जिनको
ऐसे लोगों को ही व्यवधान नज़र आता है


मानता हूँ कि पतन हो रहा तेजी से बहुत
फिर भी होता है तो ईमान नज़र आता है

हर समय उसकी ही मौज़ूदगी दिखती मुझको
हर जगह मुझको वो भगवान नज़र आता है