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"कल को भूलो आज में जीकर दिखाओ / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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कल को भूलो आज में जीकर दिखाओ
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फूल उम्मीदों के फिर खिल जांयेंगे
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खाली गमले में कोई पौधा लगाओ
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क्या जरूरी हर निशाना ठीक बैठे
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तीर तुक्का भी अँधेरे में चलाओ
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कारवां में गर नहीं शामिल तो क्या
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खु़द की मंज़िल, ख़ुद का रस्ता, खुद बनाओ
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तुम यहाँ हो, दिल अभी उस मोड़ पर है
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उसको भी समझा बुझा कर ले के आओ
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वक़्त अब भी है तुम्हारे पास इतना
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आने वाली नस्लों को कुछ दे के जाओ
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बेवजह घर में जगह घेरे जो केवल
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बस्तियों में वो खिलौने  बाँट आओ
 
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15:35, 22 मार्च 2025 के समय का अवतरण

कल को भूलो आज में जीकर दिखाओ
मुश्किलों का दौर है तो मुस्कराओ

फूल उम्मीदों के फिर खिल जांयेंगे
खाली गमले में कोई पौधा लगाओ

क्या जरूरी हर निशाना ठीक बैठे
तीर तुक्का भी अँधेरे में चलाओ

कारवां में गर नहीं शामिल तो क्या
खु़द की मंज़िल, ख़ुद का रस्ता, खुद बनाओ

तुम यहाँ हो, दिल अभी उस मोड़ पर है
उसको भी समझा बुझा कर ले के आओ

वक़्त अब भी है तुम्हारे पास इतना
आने वाली नस्लों को कुछ दे के जाओ

बेवजह घर में जगह घेरे जो केवल
बस्तियों में वो खिलौने बाँट आओ