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"सबके चेहरे पर हँसी - मुस्कान लाती कामवाली / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | एक घर से दूसरे, फिर तीसरे, फिर और कितने | ||
+ | सुबह से ले शाम तक चक्कर लगाती कामवाली | ||
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15:58, 22 मार्च 2025 के समय का अवतरण
सबके चेहरे पर हँसी - मुस्कान लाती कामवाली
घर रूका रहता है जब तक आ न जाती कामवाली
इतने कम पैसों में, इतने काम, ऐसे काम करती
फिर भी उफ तक भी न करती मुस्कराती कामवाली
पूरे घर की फर्श को चमका के कर दे आइना - सी
एक खाँची जूठे बरतन धो के जाती कामवाली
गर कभी मुश्किल में हो या आ न पाये काम पर
तो उसे ताने मिलें नखरे दिखाती काम वाली
उसके जीवन में न संडे हो, न हो अवकाश कोई
सोचिये कितनी कठिन ड्यूटी बजाती कामवाली
एक घर से दूसरे, फिर तीसरे, फिर और कितने
सुबह से ले शाम तक चक्कर लगाती कामवाली