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"क़दम आगे बढ़ाकर फिर कभी पीछे नहीं हटता / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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क़दम आगे बढ़ाकर फिर कभी पीछे नहीं हटता
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मुहब्बत में कभी अंजाम की परवा नहीं करता
  
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उसी पर मैं अमल करता जो मेरी आत्मा कहती
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ज़माना क्या कहेगा मैं ज़माने से नहीं डरता
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धुआँ भी उठ रहा है, लाल होती जा रहीं आँखें
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दिखाई दे न दे फिर भी मेरे भीतर है कुछ जलता
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भरी हों जब मेरी आँखें तो इनमें झाँककर देखो
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मेरे  आँसू बहुत मँहगे  हैं बेशक खूं मेरा सस्ता
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नहीं डरता हूँ कैसे कह दूँ पुतला मैं भी मिट्टी का
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ज़मीर अपना गँवा बैठूँ पर, इतना भी नहीं डरता
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मेरा प्रतिरोध ज़िंदा होने की मेरे निशानी है
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जो मुरदा हो चुका होता किसी धारा के संग बहता
 
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15:59, 22 मार्च 2025 के समय का अवतरण

क़दम आगे बढ़ाकर फिर कभी पीछे नहीं हटता
मुहब्बत में कभी अंजाम की परवा नहीं करता

उसी पर मैं अमल करता जो मेरी आत्मा कहती
ज़माना क्या कहेगा मैं ज़माने से नहीं डरता

धुआँ भी उठ रहा है, लाल होती जा रहीं आँखें
दिखाई दे न दे फिर भी मेरे भीतर है कुछ जलता

भरी हों जब मेरी आँखें तो इनमें झाँककर देखो
मेरे आँसू बहुत मँहगे हैं बेशक खूं मेरा सस्ता

नहीं डरता हूँ कैसे कह दूँ पुतला मैं भी मिट्टी का
ज़मीर अपना गँवा बैठूँ पर, इतना भी नहीं डरता

मेरा प्रतिरोध ज़िंदा होने की मेरे निशानी है
जो मुरदा हो चुका होता किसी धारा के संग बहता