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"फूल से पाँव में चुभे कांटे / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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फूल से पाँव में चुभे  काँटे
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कुछ थे छोटे तो कुछ बड़े काँटे
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कुछ थे सूखे तो कुछ हरे काँटे
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क्या कहें ऐसे जाहिलों को जो
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साफ़ रस्ते में बो दिए काँटे
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ज़िन्दगी रुक सी है गयी मेरी
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राह में विघ्न बन गये काँटे
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सिलसिला ख़त्म ही नहीं होता
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और कितने अभी बचे काँटे
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क्या बिगाड़ा था मैंने काँटों का
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क्यों मेरे पाँव में चुभे  काँटे
 
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18:09, 3 मई 2025 के समय का अवतरण

फूल से पाँव में चुभे काँटे
बेरहम कितने हो गये काँटे

कुछ थे छोटे तो कुछ बड़े काँटे
कुछ थे सूखे तो कुछ हरे काँटे

क्या कहें ऐसे जाहिलों को जो
साफ़ रस्ते में बो दिए काँटे

ज़िन्दगी रुक सी है गयी मेरी
राह में विघ्न बन गये काँटे

सिलसिला ख़त्म ही नहीं होता
और कितने अभी बचे काँटे

क्या बिगाड़ा था मैंने काँटों का
क्यों मेरे पाँव में चुभे काँटे