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"हाल अच्छा बुरा सब भुला दीजिये / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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बेदाग़ है वो क़ातिल इंसाफ़ की नज़र में
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हाल अच्छा बुरा सब भुला दीजिये
गुंडे पनाह पायें , तहज़ीब के नगर में
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दोस्त आये हैं बस मुस्करा दीजिये
  
सच बोल कर वो हारा, बेमौत जाय मारा
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दिल में क्या आपके देखता कौन है
कैसे बचाए खुद को, ईमान की नज़र में
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अपनी नज़रों का जलवा दिखा दीजिये
  
बुज़दिल हज़ार मौतें मरता है , पर बहादुर
+
दूसरा मेरे जैसा मिलेगा कहाँ
इक बार में फ़ना हो लड़ते हुए समर में
+
मुझको अपना बनाकर दगा दीजिये
  
राहें बचा के जिसकी चलते थे कल तलक हम
+
तुम ही कहते हो मुझको कुछ आता नहीं
वह देवता बना है लोगों की अब नज़र में
+
मुझको चालाकियाँ कुछ सिखा दीजिये
  
कल तक जो बाज़ुओं की ताक़त दिखा रहा था
+
हर तरफ़ आपका राज क़ायम रहे
दहशत के मारे वह भी, दुबका है अपने घर में
+
आह निकले कोई तो दबा दीजिये
  
कुछ फ़ायदे इधर तो कुछ फ़ायदे उधर भी
+
रात आधी गयी, नींद आती नहीं
नुकसान बस उन्हीं का  लटके हैं जो अधर में
+
कोई मीठी सी लोरी सुना दीजिये
  
माना नकाब में अब ,  रहता है छुप के लेकिन
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हो नवाज़िश करम शुक्रिया आपका
वो भेड़िया बराबर, रहता मेरी नज़र में
+
फ़लसफ़ा ज़िन्दगी का बता दीजिये
 
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18:20, 3 मई 2025 के समय का अवतरण

हाल अच्छा बुरा सब भुला दीजिये
दोस्त आये हैं बस मुस्करा दीजिये

दिल में क्या आपके देखता कौन है
अपनी नज़रों का जलवा दिखा दीजिये

दूसरा मेरे जैसा मिलेगा कहाँ
मुझको अपना बनाकर दगा दीजिये

तुम ही कहते हो मुझको कुछ आता नहीं
मुझको चालाकियाँ कुछ सिखा दीजिये

हर तरफ़ आपका राज क़ायम रहे
आह निकले कोई तो दबा दीजिये

रात आधी गयी, नींद आती नहीं
कोई मीठी सी लोरी सुना दीजिये

हो नवाज़िश करम शुक्रिया आपका
फ़लसफ़ा ज़िन्दगी का बता दीजिये