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"हमको मालूम है वो क्या यहाँ करने आये / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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गाँव में क्या यहाँ तफ़रीह वो करने आये
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जिनके दामन में दाग़ अनगिनत देखे हमने
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प्रवचन देने वही हम को ढोंगिए आये
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जिनके आतंक  की चर्चा है ऐसे नेता ही
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वोट पाकर के बार - बार जीतते आये
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धर्म - ईमान से जिनका न वास्ता कोई
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इम्तहां लेने मेरा ऐसे दोगले आये
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सीधे - साधे यहाँ जो लोग उनका क्या होगा
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रास्ते भर हम यही बात सोचते आये
 
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18:49, 3 मई 2025 के समय का अवतरण

हमको मालूम है वो क्या यहाँ करने आये
संत का चोला पहन करके भेड़िये आये

वो मगरमच्छ तो दरिया में वास करते थे
गाँव में क्या यहाँ तफ़रीह वो करने आये

जिनके दामन में दाग़ अनगिनत देखे हमने
प्रवचन देने वही हम को ढोंगिए आये

जिनके आतंक की चर्चा है ऐसे नेता ही
वोट पाकर के बार - बार जीतते आये

कर दिए जो लहूलुहान ज़िन्दगी मेरी
अब वही लोग मेरे ग़म को बाँटने आये

धर्म - ईमान से जिनका न वास्ता कोई
इम्तहां लेने मेरा ऐसे दोगले आये

सीधे - साधे यहाँ जो लोग उनका क्या होगा
रास्ते भर हम यही बात सोचते आये