भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तेरी आँखें नीली क्यों हैं / कंसतन्तीन बलिमोन्त / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कंसतन्तीन बालिमोन्त |अनुवादक=अन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
— तेरी आँखें नीली क्यों हैं, इतनी नीली-नीली ?
 
— तेरी आँखें नीली क्यों हैं, इतनी नीली-नीली ?
 
— हुआ यह कि जब आंधी गुजर गई, चक्रीली
 
— हुआ यह कि जब आंधी गुजर गई, चक्रीली
वहाँ चमक रही थी बिजली लाल और नीली  
+
वहाँ चमक रही थी तब बिजली लाल और नीली  
देखा मैंने नाच रही चपल, चंचला अग्नि पीली  
+
औ’ देखा मैंने नाच रही चपल, चंचला अग्नि पीली  
  
और नभ में तड़क रही थी तड़ित - दामिनी नीली
+
तब नभ में तड़क रही थी तड़ित - दामिनी नीली
रेगिस्तान खेल रहा था मुझसे आँख-मिचौली
+
रेगिस्तान खेल रहा था मुझसे भी आँख-मिचौली
खिली हुई थीं कानम वन में जड़ी-बूटियाँ वनीली
+
खिली हुई थीं कानन में जड़ी-बूटियाँ नीली-पीली
चमक रही थी बजते-बजते, जैसे घण्टी कोई नीली
+
बजते-बजते, चमक रही थी जैसे घण्टी कोई नीली
  
और मैं अपने घर की सीढ़ियाँ चढ़ गया,
+
ख़ैर सीढ़ियाँ चढ़कर जब तक मैं पहुँची अपने घर
और उनके ऊपर नीली रात पहले से ही तैर रही थी,
+
तैर रही थी रज़नी नीलम सी पहले से ही उन पर,
और वसंत नीले रंग की रानी थी,
+
छाई हुई थी बहार वहाँ पर नीली महारानी बनकर
और बकाइन के फूल सुगंधित नीले रंग में बदल गए।
+
और सुगंधित फूल बकाइन के नीले रंग के कमकर।
  
 
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''

05:38, 14 मई 2025 के समय का अवतरण

— तेरी आँखें नीली क्यों हैं, इतनी नीली-नीली ?
— हुआ यह कि जब आंधी गुजर गई, चक्रीली
वहाँ चमक रही थी तब बिजली लाल और नीली
औ’ देखा मैंने नाच रही चपल, चंचला अग्नि पीली

तब नभ में तड़क रही थी तड़ित - दामिनी नीली
रेगिस्तान खेल रहा था मुझसे भी आँख-मिचौली
खिली हुई थीं कानन में जड़ी-बूटियाँ नीली-पीली
बजते-बजते, चमक रही थी जैसे घण्टी कोई नीली

ख़ैर सीढ़ियाँ चढ़कर जब तक मैं पहुँची अपने घर
तैर रही थी रज़नी नीलम सी पहले से ही उन पर,
छाई हुई थी बहार वहाँ पर नीली महारानी बनकर
और सुगंधित फूल बकाइन के नीले रंग के कमकर।

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
                 Константина Бальмонта
              Отчего у тебя голубые глаза

— Отчего у тебя голубые глаза?
— Оттого что когда пролетала гроза,
Были молнии рдяны и сини.
Я смотрела на пляску тех синих огней
И на небо, что все становилось синей,
А потом я пошла по пустыне.
Предо мной голубел и синел зверобой,
Колокольчик сиял и звенел голубой,
И взошла я в свой дом на ступени,
А над ними уж ночь голубая плыла,
И весна королевой лазури была,
И душисто синели сирени.