भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वन में पड़े हिम का नीरव गीत / ओसिप मंदेलश्ताम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
[[Category:रूसी भाषा]]
 
[[Category:रूसी भाषा]]
  
वन में<br>
 
पड़े हिम का नीरव गीत<br>
 
तेरे क़दमों का संगीत<br><br>
 
तू सरकी<br>
 
उस हिम-दिवस को वैसे<br>
 
सरके कोई छाया धीमे-से जैसे<br><br>
 
गहरा था<br>
 
जाड़ा रात की तरह<br>
 
झालर-सी बर्फ़ टंगी थी सौगात की तरह<br><br>
 
कौओं ने<br>
 
अपनी टहनी पर रहकर<br>
 
जीवन में देखा है सब-कुछ सहकर<br><br>
 
मन में<br>
 
उठती है एक तरंग<br>
 
सपना एक दौड़े बन उमंग<br><br>
 
प्रेरणा सारी<br>
 
चकनाचूर हो पहुँची गर्त<br>
 
जैसे टूटी हो कोमल-ताज़ा हिम की पर्त<br><br>
 
मेरे मन का<br>
 
यह हिम कोमल<br>
 
नीरवता में हुआ सबल<br><br>
 
  
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
 +
|अनुवादक=अनिल जनविजय
 +
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
 +
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
[[Category:रूसी भाषा]]
 +
<poem>
 +
वन में
 +
पड़े हिम का नीरव गीत
 +
तेरे क़दमों का संगीत
  
(रचनाकाल :1909)
+
तू सरकी
 +
उस हिम-दिवस को वैसे
 +
सरके कोई छाया धीमे-से जैसे
 +
 
 +
गहरा था
 +
जाड़ा रात की तरह
 +
झालर-सी बर्फ़ टंगी थी सौगात की तरह
 +
 
 +
कौओं ने
 +
अपनी टहनी पर रहकर
 +
जीवन में देखा है सब-कुछ सहकर
 +
 
 +
मन में
 +
उठती है एक तरंग
 +
सपना एक दौड़े बन उमंग
 +
 
 +
प्रेरणा सारी
 +
चकनाचूर हो पहुँची गर्त
 +
जैसे टूटी हो कोमल-ताज़ा हिम की पर्त
 +
 
 +
मेरे मन का
 +
यह हिम कोमल
 +
नीरवता में हुआ सबल
 +
 
 +
(रचनाकाल :1909?)
 +
 
 +
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 +
'''लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए'''
 +
            Осип Мандельштам
 +
            Музыка твоих шагов...
 +
 
 +
Музыка твоих шагов
 +
В тишине лесных снегов,
 +
 
 +
И, как медленная тень,
 +
Ты сошла в морозный день.
 +
 
 +
Глубока, как ночь, зима,
 +
Снег висит как бахрома.
 +
 
 +
Ворон на своем суку
 +
Много видел на веку.
 +
 
 +
А встающая волна
 +
Набегающего сна
 +
 
 +
Вдохновенно разобьет
 +
Молодой и тонкий лед,
 +
 
 +
Тонкий лед моей души –
 +
Созревающий в тиши.
 +
 
 +
1909?
 +
</poem>

21:43, 7 जून 2025 का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: ओसिप मंदेलश्ताम  » संग्रह: तेरे क़दमों का संगीत
»  वन में पड़े हिम का नीरव गीत


वन में
पड़े हिम का नीरव गीत
तेरे क़दमों का संगीत

तू सरकी
उस हिम-दिवस को वैसे
सरके कोई छाया धीमे-से जैसे

गहरा था
जाड़ा रात की तरह
झालर-सी बर्फ़ टंगी थी सौगात की तरह

कौओं ने
अपनी टहनी पर रहकर
जीवन में देखा है सब-कुछ सहकर

मन में
उठती है एक तरंग
सपना एक दौड़े बन उमंग

प्रेरणा सारी
चकनाचूर हो पहुँची गर्त
जैसे टूटी हो कोमल-ताज़ा हिम की पर्त

मेरे मन का
यह हिम कोमल
नीरवता में हुआ सबल

(रचनाकाल :1909?)

मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
            Осип Мандельштам
            Музыка твоих шагов...

Музыка твоих шагов
В тишине лесных снегов,

И, как медленная тень,
Ты сошла в морозный день.

Глубока, как ночь, зима,
Снег висит как бахрома.

Ворон на своем суку
Много видел на веку.

А встающая волна
Набегающего сна

Вдохновенно разобьет
Молодой и тонкий лед,

Тонкий лед моей души –
Созревающий в тиши.

1909?