भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रयोगशाला" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
| पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
------------- | ------------- | ||
| − | {{#widget:Google Calendar}} | + | {{#widget:Google Calendar |
| + | |id=si8ocqn3duj6f8int3h57jm8qeunplut@import.calendar.google.com | ||
| + | |color=528800 | ||
| + | |id=p2m2av9dhrh4n1ub7jlsc68s7o@group.calendar.google.com | ||
| + | |color=2952A3 | ||
| + | |id=usa@holiday.calendar.google.com | ||
| + | |color=B1440E | ||
| + | }} | ||
20:12, 6 फ़रवरी 2009 का अवतरण
प्रयोगो के लिये स्थान! आप इस पन्ने पर कोई भी प्रयोग कर सकते हैं। गलतियाँ होने का कोई डर नहीं। बस कोशिश कीजिये कि आप किसी दूसरे सदस्य के द्वारा लिखी गयी सामग्री को ना मिटायें।
| रचनाएँ |
|---|
| कनक-रतनमय पालनो रच्यो मनहुँ मार-सुतहार / तुलसीदास |
| पालने रघुपति झुलावै / तुलसीदास |
| सुभग सेज सोभित कौसिल्या रुचिर राम-सिसु गोद लिये / तुलसीदास |

