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"अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगा / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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मगर तुम्हारी तरह कौन मुझे चाहेगा
  
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तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
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मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लायेगा
  
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगा <br>
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ना जाने कब तेरे दिल पर नई सी दस्तक हो
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझे चाहेगा <br><br>
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मकान ख़ाली हुआ है तो कोई आयेगा
  
तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा <br>
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मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँ
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लायेगा <br><br>
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अगर वो आया तो किस रास्ते से आयेगा
  
ना जाने कब तेरे दिल पर नई सी दस्तक हो <br>
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तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
मकान ख़ाली हुआ है तो कोई आयेगा <br><br>
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तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सतायेगा
 
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मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँ <br>
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अगर वो आया तो किस रास्ते से आयेगा <br><br>
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तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है <br>
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तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सतायेगा <br><br>
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23:34, 9 फ़रवरी 2009 का अवतरण

अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझे चाहेगा

तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लायेगा

ना जाने कब तेरे दिल पर नई सी दस्तक हो
मकान ख़ाली हुआ है तो कोई आयेगा

मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँ
अगर वो आया तो किस रास्ते से आयेगा

तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सतायेगा