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"कोई काँटा चुभा नहीं होता / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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गुफ़्तगू उन से रोज़ होती है
दिल अगर फूल सा नहीं होता <br><br>
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कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी<br>
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जी बहुत चाहता सच बोलें
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता <br><br>
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क्या करें हौसला नहीं होता
  
गुफ़्तगू उन से रोज़ होती है<br>
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रात का इंतज़ार कौन करे
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जी बहुत चाहता सच बोलें<br>
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क्या करें हौसला नहीं होता <br><br>
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आज कल दिन में क्या नहीं होता<br><br>
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23:55, 9 फ़रवरी 2009 का अवतरण

कोई काँटा चुभा नहीं होता
दिल अगर फूल सा नहीं होता

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

गुफ़्तगू उन से रोज़ होती है
मुद्दतों सामना नहीं होता

जी बहुत चाहता सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता

रात का इंतज़ार कौन करे
आज कल दिन में क्या नहीं होता