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"ग़म छुपाते रहे मुस्कुराते रहे / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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ग़ज़लें कुम्हला गईं नज़्में मुरझा गईं
महफ़िलों महफ़िलों गुनगुनाते रहे<br><br>
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गीत सँवला गये साज़ चुप हो गये
  
आँसुओं से लिखी दिल की तहरीर को<br>
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फिर भी अहल-ए-चमन कितने ख़ुशज़ौक़ थे
फूल की पत्तियों से सजाते रहे<br><br>
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नग़्मा-ए-फ़स्ल-ए-गुल गुनगुनाते रहे
  
ग़ज़लें कुम्हला गईं नज़्में मुरझा गईं<br>
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तेरी साँसों की ख़ुशबू लबों की महक
गीत सँवला गये साज़ चुप हो गये<br><br>
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जाने कैसे हवायें उड़ा लाईं थी
  
फिर भी अहल-ए-चमन कितने ख़ुशज़ौक़ थे<br>
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वक़्त का हर क़दम भी बहकता रहा
नग़्मा-ए-फ़स्ल-ए-गुल गुनगुनाते रहे<br><br>
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तेरी साँसों की ख़ुशबू लबों की महक<br>
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जाने कैसे हवायें उड़ा लाईं थी<br><br>
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ज़क़्त ले पाँव भी डगमगाते रहे<br><br>
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00:10, 10 फ़रवरी 2009 का अवतरण

ग़म छुपाते रहे मुस्कुराते रहे
महफ़िलों महफ़िलों गुनगुनाते रहे

आँसुओं से लिखी दिल की तहरीर को
फूल की पत्तियों से सजाते रहे

ग़ज़लें कुम्हला गईं नज़्में मुरझा गईं
गीत सँवला गये साज़ चुप हो गये

फिर भी अहल-ए-चमन कितने ख़ुशज़ौक़ थे
नग़्मा-ए-फ़स्ल-ए-गुल गुनगुनाते रहे

तेरी साँसों की ख़ुशबू लबों की महक
जाने कैसे हवायें उड़ा लाईं थी

वक़्त का हर क़दम भी बहकता रहा
ज़क़्त ले पाँव भी डगमगाते रहे