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"हम पंछी उन्मुक्त गगन के / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’" के अवतरणों में अंतर
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हम पंछी उन्मुक्त गगन के | हम पंछी उन्मुक्त गगन के | ||
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पिंजरबद्ध न गा पाऍंगे, | पिंजरबद्ध न गा पाऍंगे, | ||
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कनक-तीलियों से टकराकर | कनक-तीलियों से टकराकर | ||
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पुलकित पंख टूट जाऍंगे। | पुलकित पंख टूट जाऍंगे। | ||
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हम बहता जल पीनेवाले | हम बहता जल पीनेवाले | ||
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मर जाऍंगे भूखे-प्यासे, | मर जाऍंगे भूखे-प्यासे, | ||
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कहीं भली है कटुक निबोरी | कहीं भली है कटुक निबोरी | ||
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कनक-कटोरी की मैदा से, | कनक-कटोरी की मैदा से, | ||
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स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में | स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में | ||
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अपनी गति, उड़ान सब भूले, | अपनी गति, उड़ान सब भूले, | ||
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बस सपनों में देख रहे हैं | बस सपनों में देख रहे हैं | ||
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तरू की फुनगी पर के झूले। | तरू की फुनगी पर के झूले। | ||
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ऐसे थे अरमान कि उड़ते | ऐसे थे अरमान कि उड़ते | ||
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नील गगन की सीमा पाने, | नील गगन की सीमा पाने, | ||
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लाल किरण-सी चोंचखोल | लाल किरण-सी चोंचखोल | ||
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चुगते तारक-अनार के दाने। | चुगते तारक-अनार के दाने। | ||
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होती सीमाहीन क्षितिज से | होती सीमाहीन क्षितिज से | ||
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इन पंखों की होड़ा-होड़ी, | इन पंखों की होड़ा-होड़ी, | ||
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या तो क्षितिज मिलन बन जाता | या तो क्षितिज मिलन बन जाता | ||
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या तनती सॉंसों की डोरी। | या तनती सॉंसों की डोरी। | ||
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नीड़ न दो, चाहे टहनी का | नीड़ न दो, चाहे टहनी का | ||
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आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो, | आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो, | ||
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लेकिन पंख दिए हैं, तो | लेकिन पंख दिए हैं, तो | ||
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आकुल उड़ान में विघ्न न डालों। | आकुल उड़ान में विघ्न न डालों। | ||
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16:50, 11 फ़रवरी 2009 का अवतरण
हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पिंजरबद्ध न गा पाऍंगे,
कनक-तीलियों से टकराकर
पुलकित पंख टूट जाऍंगे।
हम बहता जल पीनेवाले
मर जाऍंगे भूखे-प्यासे,
कहीं भली है कटुक निबोरी
कनक-कटोरी की मैदा से,
स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में
अपनी गति, उड़ान सब भूले,
बस सपनों में देख रहे हैं
तरू की फुनगी पर के झूले।
ऐसे थे अरमान कि उड़ते
नील गगन की सीमा पाने,
लाल किरण-सी चोंचखोल
चुगते तारक-अनार के दाने।
होती सीमाहीन क्षितिज से
इन पंखों की होड़ा-होड़ी,
या तो क्षितिज मिलन बन जाता
या तनती सॉंसों की डोरी।
नीड़ न दो, चाहे टहनी का
आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,
लेकिन पंख दिए हैं, तो
आकुल उड़ान में विघ्न न डालों।