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"दुआ करो कि ये पौधा सदा हरा ही लगे / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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उदासियों से भी चेहरा खिला-खिला ही लगे<br><br>
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अजीब शख़्स है नाराज़ होके हंसता है
कोई जो दूसरा ओढे़ तो दूसरा ही लगे<br><br>
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मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे<br><br>
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15:29, 14 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

दुआ करो कि ये पौधा सदा हरा ही लगे
उदासियों से भी चेहरा खिला-खिला ही लगे

ये चाँद तारों का आँचल उसी का हिस्सा है
कोई जो दूसरा ओढे़ तो दूसरा ही लगे

नहीं है मेरे मुक़द्दर में रौशनी न सही
ये खिड़की खोलो ज़रा सुबह की हवा ही लगे

अजीब शख़्स है नाराज़ होके हंसता है
मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे