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"मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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पी मेरे यार तुझे अपनी क़सम देता हूँ
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हाथ में जाम जहाँ आया मुक़द्दर चमका
आग से आग बुझा, फूल खिला, जाम उठा <br><br>
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पी मेरे यार तुझे अपनी क़सम देता हूँ <br>
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एक पल भी कभी हो जाता है सदियों जैसा
भूल जा शिकवा-गिला, हाथ मिला, जाम उठा <br><br>
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देर क्या करना यहाँ, हाथ बढा़, जाम उठा
  
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प्यार ही प्यार है सब लोग बराबर हैं यहाँ
सब बदल जायेगा क़िस्मत का लिखा जाम उठा <br><br>
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15:35, 14 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

मान मौसम का कहा, छाई घटा, जाम उठा
आग से आग बुझा, फूल खिला, जाम उठा

पी मेरे यार तुझे अपनी क़सम देता हूँ
भूल जा शिकवा-गिला, हाथ मिला, जाम उठा

हाथ में जाम जहाँ आया मुक़द्दर चमका
सब बदल जायेगा क़िस्मत का लिखा, जाम उठा

एक पल भी कभी हो जाता है सदियों जैसा
देर क्या करना यहाँ, हाथ बढा़, जाम उठा

प्यार ही प्यार है सब लोग बराबर हैं यहाँ
मैकदे में कोई छोटा न बड़ा, जाम उठा