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"मुस्कुराती हुई धनक है वही / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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अब भी चेहरा चराग़ लगता है
उस बदन में चमक दमक है वही <br><br>
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बुझ गया है मगर चमक है वही
  
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कोई शीशा ज़रूर टूटा है
साँवली शाम में नमक है वही <br><br>
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बुझ गया है मगर चमक है वही <br><br>
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15:37, 14 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

मुस्कुराती हुई धनक है वही
उस बदन में चमक दमक है वही

फूल कुम्हला गये उजालों के
साँवली शाम में नमक है वही

अब भी चेहरा चराग़ लगता है
बुझ गया है मगर चमक है वही

कोई शीशा ज़रूर टूटा है
गुनगुनाती हुई खनक है वही

प्यार किस का मिला है मिट्टी में
इस चमेली तले महक है वही