"मेरे साथ तुम भी दुआ करो / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | रचनाकार | + | {{KKGlobal}} |
− | + | {{KKRachna | |
− | [[Category: | + | |रचनाकार=बशीर बद्र |
− | + | }} | |
+ | [[Category:ग़ज़ल]] | ||
+ | <poem> | ||
+ | मेरे साथ तुम भी दुआ करो यूँ किसी के हक़ में बुरा न हो | ||
+ | कहीं और हो न ये हादसा कोई रास्ते में जुदा न हो | ||
− | + | मेरे घर से रात की सेज तक वो इक आँसू की लकीर है | |
+ | ज़रा बढ़ के चाँद से पूछना वो इसी तरफ़ से गया न हो | ||
− | मेरे | + | सर-ए-शाम ठहरी हुई ज़मीं, आसमाँ है झुका हुआ |
− | + | इसी मोड़ पर मेरे वास्ते वो चराग़ ले कर खड़ा न हो | |
− | + | वो फ़रिश्ते आप ही ढूँढिये कहानियों की किताब में | |
− | + | जो बुरा कहें न बुरा सुने कोई शख़्स उन से ख़फ़ा न हो | |
− | + | वो विसाल हो के फ़िराक़ हो तेरी आग महकेगी एक दिन | |
− | + | वो गुलाब बन के खिलेगा क्या जो चराग़ बन के जला न हो | |
− | + | मुझे यूँ लगा कि ख़ामोश ख़ुश्बू के होँठ तितली ने छू लिये | |
− | + | इन्ही ज़र्द पत्तों की ओट में कोई फूल सोया हुआ न हो | |
− | + | इसी एहतियात में मैं रहा, इसी एहतियात में वो रहा | |
− | + | वो कहाँ कहाँ मेरे साथ है किसी और को ये पता न हो | |
− | + | </poem> | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | इसी एहतियात में मैं रहा, इसी एहतियात में वो रहा | + | |
− | वो कहाँ कहाँ मेरे साथ है किसी और को ये पता न हो < | + |
15:38, 14 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
मेरे साथ तुम भी दुआ करो यूँ किसी के हक़ में बुरा न हो
कहीं और हो न ये हादसा कोई रास्ते में जुदा न हो
मेरे घर से रात की सेज तक वो इक आँसू की लकीर है
ज़रा बढ़ के चाँद से पूछना वो इसी तरफ़ से गया न हो
सर-ए-शाम ठहरी हुई ज़मीं, आसमाँ है झुका हुआ
इसी मोड़ पर मेरे वास्ते वो चराग़ ले कर खड़ा न हो
वो फ़रिश्ते आप ही ढूँढिये कहानियों की किताब में
जो बुरा कहें न बुरा सुने कोई शख़्स उन से ख़फ़ा न हो
वो विसाल हो के फ़िराक़ हो तेरी आग महकेगी एक दिन
वो गुलाब बन के खिलेगा क्या जो चराग़ बन के जला न हो
मुझे यूँ लगा कि ख़ामोश ख़ुश्बू के होँठ तितली ने छू लिये
इन्ही ज़र्द पत्तों की ओट में कोई फूल सोया हुआ न हो
इसी एहतियात में मैं रहा, इसी एहतियात में वो रहा
वो कहाँ कहाँ मेरे साथ है किसी और को ये पता न हो