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"मेरे साथ तुम भी दुआ करो / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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कहीं और हो न ये हादसा कोई रास्ते में जुदा न हो <br><br>
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इसी मोड़ पर मेरे वास्ते वो चराग़ ले कर खड़ा न हो
  
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वो फ़रिश्ते आप ही ढूँढिये कहानियों की किताब में
ज़रा बढ़ के चाँद से पूछना वो इसी तरफ़ से गया न हो <br><br>
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इसी मोड़ पर मेरे वास्ते वो चराग़ ले कर खड़ा न हो <br><br>
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वो गुलाब बन के खिलेगा क्या जो चराग़ बन के जला न हो
  
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मुझे यूँ लगा कि ख़ामोश ख़ुश्बू के होँठ तितली ने छू लिये
जो बुरा कहें न बुरा सुने कोई शख़्स उन से ख़फ़ा न हो <br><br>
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इन्ही ज़र्द पत्तों की ओट में कोई फूल सोया हुआ न हो
  
वो विसाल हो के फ़िराक़ हो तेरी आग महकेगी एक दिन <br>
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इसी एहतियात में मैं रहा, इसी एहतियात में वो रहा
वो गुलाब बन के खिलेगा क्या जो चराग़ बन के जला न हो <br><br>
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वो कहाँ कहाँ मेरे साथ है किसी और को ये पता न हो
 
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इसी एहतियात में मैं रहा, इसी एहतियात में वो रहा <br>
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15:38, 14 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

मेरे साथ तुम भी दुआ करो यूँ किसी के हक़ में बुरा न हो
कहीं और हो न ये हादसा कोई रास्ते में जुदा न हो

मेरे घर से रात की सेज तक वो इक आँसू की लकीर है
ज़रा बढ़ के चाँद से पूछना वो इसी तरफ़ से गया न हो

सर-ए-शाम ठहरी हुई ज़मीं, आसमाँ है झुका हुआ
इसी मोड़ पर मेरे वास्ते वो चराग़ ले कर खड़ा न हो

वो फ़रिश्ते आप ही ढूँढिये कहानियों की किताब में
जो बुरा कहें न बुरा सुने कोई शख़्स उन से ख़फ़ा न हो

वो विसाल हो के फ़िराक़ हो तेरी आग महकेगी एक दिन
वो गुलाब बन के खिलेगा क्या जो चराग़ बन के जला न हो

मुझे यूँ लगा कि ख़ामोश ख़ुश्बू के होँठ तितली ने छू लिये
इन्ही ज़र्द पत्तों की ओट में कोई फूल सोया हुआ न हो

इसी एहतियात में मैं रहा, इसी एहतियात में वो रहा
वो कहाँ कहाँ मेरे साथ है किसी और को ये पता न हो