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"सुन ली जो ख़ुदा ने वो दुआ तुम तो नहीं हो / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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महसूस किया तुम को तो गीली हुई पलकें
दरवाज़े पे दस्तक की सदा तुम तो नहीं हो<br><br>
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भीगे हुये मौसम की अदा तुम तो नहीं हो
  
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इन अजनबी राहों में नहीं कोई भी मेरा
सोई हुई कलियों की हया तुम तो नहीं हो<br><br>
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किस ने मुझे यूँ अपना कहा तुम तो नहीं हो
 
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इन अजनबी राहों में नहीं कोई भी मेरा<br>
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किस ने मुझे यूँ अपना कहा तुम तो नहीं हो<br><br>
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16:12, 14 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

सुन ली जो ख़ुदा ने वो दुआ तुम तो नहीं हो
दरवाज़े पे दस्तक की सदा तुम तो नहीं हो

सिमटी हुई शर्माई हुई रात की रानी
सोई हुई कलियों की हया तुम तो नहीं हो

महसूस किया तुम को तो गीली हुई पलकें
भीगे हुये मौसम की अदा तुम तो नहीं हो

इन अजनबी राहों में नहीं कोई भी मेरा
किस ने मुझे यूँ अपना कहा तुम तो नहीं हो