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"सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं
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देखा तुझे सोचा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझे
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मेरी ख़ता मेरी वफ़ा तेरी ख़ता कुछ भी नहीं
  
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जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात भर
मांगा खुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं <br><br>
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भेजा वही काग़ज़ उसे हमने लिखा कुछ भी नहीं
  
देखा तुझे सोचा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझे <br>
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इक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक
मेरी ख़ता मेरी वफ़ा तेरी ख़ता कुछ भी नहीं <br><br>
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आँखों से की बातें बहुत मुँह से कहा कुछ भी नहीं
  
जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात भर <br>
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दो चार दिन की बात है दिल ख़ाक में सो जायेगा
भेजा वही काग़ज़ उसे हमने लिखा कुछ भी नहीं <br><br>
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जब आग पर काग़ज़ रखा बाकी बचा कुछ भी नहीं
  
इक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक <br>
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अहसास की ख़ुश्बू कहाँ आवाज़ के जुगनू कहाँ
आँखों से की बातें बहुत मुँह से कहा कुछ भी नहीं <br><br>
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ख़ामोश यादों के सिवा घर में रहा कुछ भी नहीं
 
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ख़ामोश यादों के सिवा घर में रहा कुछ भी नहीं <br><br>
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16:13, 14 फ़रवरी 2009 का अवतरण

सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं
मांगा खुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं

देखा तुझे सोचा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझे
मेरी ख़ता मेरी वफ़ा तेरी ख़ता कुछ भी नहीं

जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात भर
भेजा वही काग़ज़ उसे हमने लिखा कुछ भी नहीं

इक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक
आँखों से की बातें बहुत मुँह से कहा कुछ भी नहीं

दो चार दिन की बात है दिल ख़ाक में सो जायेगा
जब आग पर काग़ज़ रखा बाकी बचा कुछ भी नहीं

अहसास की ख़ुश्बू कहाँ आवाज़ के जुगनू कहाँ
ख़ामोश यादों के सिवा घर में रहा कुछ भी नहीं