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"सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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बस ज़रा वफ़ा कम है तेरे शहर वालों में
  
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हम जवाब क्या देते खो गये सवालों में
  
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रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
बस ज़रा वफ़ा कम है तेरे शहर वालों में <br><br>
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जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में
  
पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा<br>
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मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे
हम जवाब क्या देते खो गये सवालों में <br><br>
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रात के मुसाफ़िर थे खो गये उजालों में
 
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जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में <br><br>
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मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे<br>
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रात के मुसाफ़िर थे खो गये उजालों में<br><br>
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16:14, 14 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में
बस ज़रा वफ़ा कम है तेरे शहर वालों में

पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा
हम जवाब क्या देते खो गये सवालों में

रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में

मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे
रात के मुसाफ़िर थे खो गये उजालों में