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अजब हालात थे, यूँ दिल का सौदा हो गया आख़िर
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मुहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाए
  
चराग़ों की तरह आँखें जलें, जब शाम हो जाए
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समन्दर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको
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उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
मैं ख़ुद भी अहतियातन, उस गली से कम गुजरता हूँ,
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उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो,
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न जाने किस गली में, ज़िंदगी की शाम हो जाए
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16:15, 14 फ़रवरी 2009 का अवतरण

हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाए
चराग़ों की तरह आँखें जलें, जब शाम हो जाए

मैं ख़ुद भी अहतियातन, उस गली से कम गुजरता हूँ
कोई मासूम क्यों मेरे लिए, बदनाम हो जाए

अजब हालात थे, यूँ दिल का सौदा हो गया आख़िर
मुहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाए

समन्दर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको
हवायें तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाए

मुझे मालूम है उसका ठिकाना फिर कहाँ होगा
परिंदा आस्माँ छूने में जब नाकाम हो जाए

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में, ज़िंदगी की शाम हो जाए