भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"क्या पता था खेल ऐसे खेलने होंगे / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह=तरकश / ऋषभ देव शर्मा }} <Poem> क्...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:22, 27 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण
क्या पता था खेल ऐसे खेलने होंगे
रक्त-आँसू गूँथ पापड़ बेलने होंगे
कुर्सियों पर लद गया है बोझ नारों का
यार, ये विकलांग नायक ठेलने होंगे
भर गया बारूद मेरी खाल में इतना
अब धमाके पर धमाके झेलने होंगे.