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"इश्क़ फ़ना का नाम है इश्क़ में ज़िन्दगी न देख / जिगर मुरादाबादी" के अवतरणों में अंतर
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− | + | जल्वा-ए-आफ़्ताब बन ज़र्रे में रोशनी न देख | |
शौक़ को रहनुमा बना जो हो चुका कभी न देख | शौक़ को रहनुमा बना जो हो चुका कभी न देख | ||
आग दबी हुई निकाल आग बुझी हुई न देख | आग दबी हुई निकाल आग बुझी हुई न देख | ||
− | + | तुझको ख़ुदा का वास्ता तू मेरी ज़िन्दगी न देख | |
− | + | जिसकी सहर भी शाम हो उसकी सियाह शवी न देख |
02:45, 2 मई 2009 का अवतरण
इश्क़ फ़ना का नाम है इश्क़ में ज़िन्दगी न देख
जल्वा-ए-आफ़्ताब बन ज़र्रे में रोशनी न देख
शौक़ को रहनुमा बना जो हो चुका कभी न देख
आग दबी हुई निकाल आग बुझी हुई न देख
तुझको ख़ुदा का वास्ता तू मेरी ज़िन्दगी न देख
जिसकी सहर भी शाम हो उसकी सियाह शवी न देख