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"मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' / पृष्ठ - ७" के अवतरणों में अंतर

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श्वाँस श्वाँस में रमा वही सब हलन चलन तेरी मधुकर  
 
श्वाँस श्वाँस में रमा वही सब हलन चलन तेरी मधुकर  
 
यश अपयश उत्थान पतन सब उस सच्चे रस का निर्झर  
 
यश अपयश उत्थान पतन सब उस सच्चे रस का निर्झर  

22:16, 3 मई 2009 का अवतरण

श्वाँस श्वाँस में रमा वही सब हलन चलन तेरी मधुकर
यश अपयश उत्थान पतन सब उस सच्चे रस का निर्झर
वही प्रेरणा क्षमता ममता प्रीति पुलक उल्लास वही
टेर रहा है व्यक्ताव्यक्ता मुरली तेरा मुरलीधर।।31।।

कर्णफूल दृग द्युति वह तेरी सिंदूरी रेखा मधुकर
वही हृदय माला प्राणों की वीणा की झंकृति निर्झर
वही सत्य का सत्य तुम्हारे जीवन का भी वह जीवन
टेर रहा है परमानन्दा मुरली तेरा मुरलीधर ।। 32।।

रह लटपट उसको पलकों की ओट न होने दे मधुकर
मिलन गीत गाता लहराता बहा जा रहा रस निर्झर
तुम उसकी हो प्राणप्रिया परमातिपरम सौभाग्य यही
टेर रहा है हृदयोल्लासिनि मुरली तेरा मुरलीधर।।33।।

मृदुल मृणाल भाव अंगुलि से छू मन प्राण बोध मधुकर
रोम रोम में लहरा देता वह अचिंत्य लीला निर्झर
मधुराधर स्वर सुना विहॅंसता वह प्रसन्न मुख वनमाली
टेर रहा है सर्वमंगला मुरली तेरा मुरलीधर।।34।।

नारकीय योनियाँ अनेकों रौरव नर्क पीर मधुकर
उसके संग संग ले सह ले सब उसका लीला निर्झर
रहना कहीं बनाये रखना उसको आँखों का अंजन
टेर रहा है सर्वशिखरिणी मुरली तेरा मुरलीधर।।35।।