भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जीने वाले कज़ा से डरते हैं / शकील बँदायूनी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | रचनाकार | + | {{KKGlobal}} |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=शकील बँदायूनी | |
− | + | |संग्रह= | |
− | + | }} | |
− | + | ||
− | + | ||
जीने वाले क़ज़ा से डरते हैं <br> | जीने वाले क़ज़ा से डरते हैं <br> | ||
ज़हर पीकर दवा से डरते हैं <br><br> | ज़हर पीकर दवा से डरते हैं <br><br> |
14:36, 8 मई 2009 का अवतरण
जीने वाले क़ज़ा से डरते हैं
ज़हर पीकर दवा से डरते हैं
ज़ाहिदों को किसी का ख़ौफ़ नहीं
सिर्फ़ काली घटा से डरते हैं
आह जो कुछ कहे हमें मंज़ूर
नेक बंदे ख़ुदा से डरते हैं
दुश्मनों के सितम का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं
अज़्म-ओ-हिम्मत के बावजूद "शकील"
इश्क़ की इब्तदा से डरते हैं