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"प्यार के झरोखे न होते / रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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सागर की बाहों में गर समाए न होते ।<br> | सागर की बाहों में गर समाए न होते ।<br> |
14:54, 8 मई 2009 के समय का अवतरण
खुदा ने अगर दिल मिलाए न होते।
तो तुम, तुम न होते, हम, हम न होते॥
न ये हिम पिघलता, न नदियाँ ये बहतीं,
न नदियाँ मचलती, न सागर में मिलतीं,
सागर की बाहों में गर समाए न होते ।
तो तुम, तुम न होते, हम, हम न होते॥
न सागर यह तपता, न बादल ये बनते,
न बादल पिघलते, न जल-कण बरसते,
जल-कण धरा में गर समाए न होते ।
तो तुम, तुम न होते, हम, हम न होते॥
न ऋतुएँ बदलती, न ये फूल खिलते,
न तितली बहकती, न भौंरे मचलते,
अगर प्यार के ये झरोखे न होते ।
तो तुम, तुम न होते, हम, हम न होते॥
खुदा ने अगर दिल मिलाए न होते।
तो तुम, तुम न होते, हम, हम न होते॥