भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कुछ तो दुनिया की इनायात / सुदर्शन फ़ाकिर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[सुदर्शन फ़ाकिर]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:गज़ल]]
+
|रचनाकार=सुदर्शन फ़ाकिर
[[Category: सुदर्शन फ़ाकिर]]
+
}}
 
+
[[Category:ग़ज़ल]]
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
  
 
कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया<br>
 
कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया<br>

16:35, 24 मई 2009 का अवतरण

कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया
और कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया

हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब
आयी बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया

दिल तो रोता रहे, ओर आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रवायात ने दिल तोड़ दिया

वो मेरे हैं, मुझे मिल जायेंगे, आ जायेंगे
ऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया

आप को प्यार है मुझ से के नहीं है मुझ से
जाने क्यों ऐसे सवालात ने दिल तोड़ दिया