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"कुछ तो दुनिया की इनायात / सुदर्शन फ़ाकिर" के अवतरणों में अंतर
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कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया<br> | कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया<br> |
16:35, 24 मई 2009 का अवतरण
कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया
और कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया
हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब
आयी बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया
दिल तो रोता रहे, ओर आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रवायात ने दिल तोड़ दिया
वो मेरे हैं, मुझे मिल जायेंगे, आ जायेंगे
ऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया
आप को प्यार है मुझ से के नहीं है मुझ से
जाने क्यों ऐसे सवालात ने दिल तोड़ दिया