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"मेरे दुख की कोई दवा न करो / सुदर्शन फ़ाकिर" के अवतरणों में अंतर
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16:37, 24 मई 2009 का अवतरण
मेरे दुख की कोई दवा न करो
मुझ को मुझ से अभी जुदा न करो
नाख़ुदा को ख़ुदा कहा है तो फिर
डूब जाओ, ख़ुदा ख़ुदा न करो
ये सिखाया है दोस्ती ने हमें
दोस्त बनकर कभी वफ़ा न करो
इश्क़ है इश्क़, ये मज़ाक नहीं
चंद लम्हों में फ़ैसला न करो
आशिक़ी हो या बंदगी 'फ़ाकिर'
बे-दिली से तो इबतिदा न करो