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"गले मिलने को आपस में दुआएँ रोज़ आती हैं.. / मुनव्वर राना" के अवतरणों में अंतर

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गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं
 
गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं
  

17:05, 24 मई 2009 का अवतरण

गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं

अभी मस्जिद के दरवाज़े पे मायें रोज़ आती हैं


अभी रोशन हैं चाहत के दिये हम सबकी आँखों में

बुझाने के लिये पागल हवायें रोज़ आती हैं


कोई मरता नहीं है हाँ मगर सब टूट जाते हैं

हमारे शहर में ऎसी वबायें रोज़ आती हैं


अभी दुनिया की चाहत ने मिरा पीछा नहीं छोड़ा

अभी मुझको बुलाने दाश्तायें रोज़ आती हैं


ये सच है नफ़रतों की आग ने सब कुछ जला डला

मगर उम्मीद की ठंडी हवायें रोज़ आती हैं


वबायें= बीमारियाँ; दाश्तायें=रखैलें