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"पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाये / कैफ़ी आज़मी" के अवतरणों में अंतर
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पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाये <br> | पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाये <br> |
18:27, 25 मई 2009 के समय का अवतरण
पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाये
हम चाँद से आज लौट आये
दीवारें तो हर तरफ़ खड़ी हैं
क्या हो गया मेहरबाँ साये
जंगल की हवायें आ रही हैं
काग़ज़ का ये शहर उड़ न जाये
लैला ने नया जनम लिया है
है कै़स कोई जो दिल लगाये
है आज ज़मीन का गुसल-ए-सहत
जिस दिल में हो जितना ख़ून लाये
सहरा सहरा लहू के ख़ेमे
फिर प्यासे लब-ए-फ़ुरात आये