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"जीवन के गीत लिखो / चंद्र कुमार जैन" के अवतरणों में अंतर

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जीवन के गीत लिखो !<br>
 
जीवन के गीत लिखो !<br>
 
कितनी भी पीड़ा हो<br>
 
कितनी भी पीड़ा हो<br>

18:33, 25 मई 2009 के समय का अवतरण

जीवन के गीत लिखो !
कितनी भी पीड़ा हो
तुम हँसते मीत दिखो

संकल्पी आँखों में
सूरज के सपने ले
अंधियारी रातों में
एक दिया बार दो
पलको पर जो ठहरे
आँसू उनको भी तुम
मोती-सी कीमत तो
अंतस् का प्यार दो
और नई रीत लिखो
जीवन के गीत...

जीवन की गागर से
छलक-छलक जो जाए
उस पानी की कीमत
आंकना बेमानी है
और जो समा जाए
गागर में सागर-सा
मीत वही पानी तो
जीवन का पानी है
आज नयी प्रीत लिखो
जीवन के गीत...

मुक्त गगन में उड़कर
धरती पर जो आया
पंछी से पूछो तो
घोंसला ही क्यों भाया
छेद हदय में गहरे
कितने भी हों लेकिन
बाँसुरी से पूछो तो
मन उसका क्यों गाया ?
दर्द सहो और हँसो
जीवन के गीत लिखो !!!