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"कू-ब-कू फैल गई बात / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की <br>
 
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उस ने ख़ुश्बू की तरह मेरी पज़ीराई की <br><br>
 
उस ने ख़ुश्बू की तरह मेरी पज़ीराई की <br><br>

18:46, 25 मई 2009 के समय का अवतरण

कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की
उस ने ख़ुश्बू की तरह मेरी पज़ीराई की

कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस ने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की

वो कहीं भी गया लौटा तो मेरे पास आया
बस यही बात है अच्छी मेरे हरजाई की

तेरा पहलू तेरे दिल की तरह आबाद रहे
तुझ पे गुज़रे न क़यामत शब-ए-तन्हाई की

उस ने जलती हुई पेशानी पे जो हाथ रखा
रूह तक आ गई तासीर मसीहाई की