भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चेहरा मेरा था निगाहें उस की / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[परवीन शाकिर]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:गज़ल]]
+
|रचनाकार=परवीन शाकिर
[[Category:परवीन शाकिर]]
+
|संग्रह=
 
+
}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
[[Category:ग़ज़ल]]
 
+
 
चेहरा मेरा था निगाहें उस की<br>
 
चेहरा मेरा था निगाहें उस की<br>
 
ख़ामुशी में भी वो बातें उस की<br><br>
 
ख़ामुशी में भी वो बातें उस की<br><br>

18:48, 25 मई 2009 के समय का अवतरण

चेहरा मेरा था निगाहें उस की
ख़ामुशी में भी वो बातें उस की

मेरे चेहरे पे ग़ज़ल लिखती गईं
शेर कहती हुई आँखें उस की

शोख़ लम्हों का पता देने लगीं
तेज़ होती हुई साँसें उस की

ऐसे मौसम भी गुज़ारे हम ने
सुबहें जब अपनी थीं शामें उस की

ध्यान में उस के ये आलम था कभी
आँख महताब की यादें उस की

फ़ैसला मौज-ए-हवा ने लिक्खा
आँधियाँ मेरी बहारें उस की

नीन्द इस सोच से टूटी अक्सर
किस तरह कटती हैं रातें उस की

दूर रह कर भी सदा रहती है
मुझ को थामे हुए बाहें उस की