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"मंज़र है वही ठठक रही हूँ / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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मंज़र है वही ठठक रही हूँ <br>
 
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हैरत से पलक झपक रही हूँ <br><br>
 
हैरत से पलक झपक रही हूँ <br><br>

18:50, 25 मई 2009 के समय का अवतरण

मंज़र है वही ठठक रही हूँ
हैरत से पलक झपक रही हूँ

ये तू है के मेरा वहम है
बंद आँखों से तुझ को तक रही हूँ

जैसे के कभी न था तार्रुफ़
यूँ मिलते हुए झिझक रही हूँ

पहचान मैं तेरी रोशनी हूँ
और तेरी पलक पलक रही हूँ

क्या चैन मिला है सर जो उस के
शानों पे रखे सिसक रही हूँ

इक उम्र हुई है ख़ुद से लड़ते
अंदर से तमाम थक रही हूँ