भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मंज़र है वही ठठक रही हूँ / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: परवीन शाकिर Category:कविताएँ Category:गज़ल Category:परवीन शाकिर ~*~*~*~*~...) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | रचनाकार | + | {{KKRachna |
− | + | |रचनाकार=परवीन शाकिर | |
− | [[Category: | + | }} |
− | + | [[Category:ग़ज़ल]] | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
मंज़र है वही ठठक रही हूँ <br> | मंज़र है वही ठठक रही हूँ <br> | ||
हैरत से पलक झपक रही हूँ <br><br> | हैरत से पलक झपक रही हूँ <br><br> |
18:50, 25 मई 2009 के समय का अवतरण
मंज़र है वही ठठक रही हूँ
हैरत से पलक झपक रही हूँ
ये तू है के मेरा वहम है
बंद आँखों से तुझ को तक रही हूँ
जैसे के कभी न था तार्रुफ़
यूँ मिलते हुए झिझक रही हूँ
पहचान मैं तेरी रोशनी हूँ
और तेरी पलक पलक रही हूँ
क्या चैन मिला है सर जो उस के
शानों पे रखे सिसक रही हूँ
इक उम्र हुई है ख़ुद से लड़ते
अंदर से तमाम थक रही हूँ