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"किया इरादा बारहा तुझे भुलाने का / शहरयार" के अवतरणों में अंतर

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किया इरादा बारहा तुझे भुलाने का <br>
 
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मिला न उज़्र ही कोई मगर ठिकाने का <br><br>
 
मिला न उज़्र ही कोई मगर ठिकाने का <br><br>

20:27, 25 मई 2009 के समय का अवतरण

किया इरादा बारहा तुझे भुलाने का
मिला न उज़्र ही कोई मगर ठिकाने का

ये कैसी अजनबी दस्तक थी कैसी आहट थी
तेरे सिवा था किसे हक़ मुझे जगाने का

ये आँख है कि नहीं देखा कुछ सिवा तेरे
ये दिल अजब है कि ग़म है इसे ज़माने का

वो देख लो वो समंदर ख़ुश्क होने लगा
जिसे था दावा मेरी प्यास को बुझाने का

ज़मीं पे किस लिये ज़ंजीर हो गये साये
मुझे पता है मगर मैं नहीं बताने का